सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष लंबित एक चुनाव याचिका में स्थगन की मांग करने के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के अध्यक्ष कल्याण चौबे को कारण बताओ नोटिस जारी किया
पश्चिम बंगाल सरकार ने संदेशखाली में जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में सीबीआई जांच का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और संदीप मेहता की बेंच 29 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष लंबित एक चुनाव याचिका में स्थगन की मांग करने के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के अध्यक्ष कल्याण चौबे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि वह देरी की रणनीति अपना रहे हैं। दरअसल अदालत में दायर एक याचिका में कहा गया था कि चौबे उत्तरी कलकत्ता के मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से संबंधित चुनाव याचिका में जानबूझकर देरी कर रहे हैं।
2022 में TMC विधायक साधन पांडे के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति P. S. नरसिम्हा की बेंच ने चौबे द्वारा देरी की रणनीति अपनाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। कारण बताओ नोटिस में बेंच ने AIFF अध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों न उन्हें एआईएफएफ अध्यक्ष और भारतीय ओलंपिक संघ के संयुक्त सचिव के रूप में उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए ताकि वे मामले पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर में अपनी रिफाइनरी से रायगढ़ तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए 11,600 पेड़ों को काटने के लिए भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को दी गई अनुमति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से याचिका पर जवाब देने को कहा।
शीर्ष अदालत में पर्यावरण कार्यकर्ता जोरू भथेना द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने चेंबूर के माहुल से रायगढ़ जिले के रसायनी तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए बीपीसीएल के लिए पेड़ों को काटने के खिलाफ भथेना की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि मंजूरी देने से पहले विशेषज्ञ संस्थाओं ने सोच-विचार किया होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट रजिस्ट्री से अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए वरिष्ठ सिविल न्यायाधीशों के नामों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए राज्य में पदोन्नति श्रेणी के अंतर्गत अपनाई गई प्रक्रिया का विवरण देने को कहा। 2005 के सेवा नियमों के अनुसार राज्य में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीशों के कैडर में 65 प्रतिशत रिक्तियां राज्य में सिविल जजों वाले फीडर कैडर से योग्यता लागू करके भरी जानी थीं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने गुजरात हाईकोर्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी गिरी को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। कहा गया है कि हलफनामे में अपनाए गए चयन मानदंडों का विवरण दिया गया हो। बेंच ने पूछा कि न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति करने के लिए उनके नाम कैसे तय किए गए हैं। याचिका पर अब 29 अप्रैल को सुनवाई होगी।