सीबीआई ने रेलवे के डीआरएम को रिश्वत मामले में किया गिरफ्तार
सीबीआई ने एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में ईस्ट-कोस्ट रेलवे के डिवीजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) सौरभ प्रसाद को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। साथ ही, मुंबई स्थित एक निजी कंपनी डी. एन. मार्केटिंग के मालिक सानिल राठौड़ और पुणे की कंपनी एचआरके सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के नियंत्रक आनंद भगत को भी हिरासत में लिया गया है।
रिश्वत के पीछे की साजिश
सीबीआई के मुताबिक, सौरभ प्रसाद ने विशाखापत्तनम में वाल्टेयर मंडल के डीआरएम के रूप में काम करते हुए रेलवे के अनुबंध में देरी पर लगे जुर्माने को कम करने और 3.17 करोड़ रुपये के भुगतान को मंजूरी देने के बदले 25 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई ने दावा किया कि राठौड़ और भगत ने प्रसाद से संपर्क किया था। आरोपी डीआरएम ने जुर्माना कम करने और भुगतान सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत मांगी। 16 नवंबर को मुंबई में यह रिश्वत दी गई, जहां सीबीआई ने जाल बिछाकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ा।
छापेमारी और जब्त संपत्ति
गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने मुंबई, विशाखापत्तनम, पुणे, वडोदरा और कोलकाता समेत 11 स्थानों पर छापेमारी की। छापों के दौरान सीबीआई ने 87.6 लाख रुपये नकद, 72 लाख रुपये के आभूषण, संपत्ति के कागजात और कई बैंक लॉकर की चाबियां बरामद कीं।
कैसे हुआ खुलासा?
सीबीआई ने जाल बिछाकर 16 नवंबर को मुंबई में डीआरएम प्रसाद को 25 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। सीबीआई ने राठौड़ और भगत को भी गिरफ्तार किया। आरोप है कि इन अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद जुर्माना राशि को कम किया गया और बिल पास करवाए गए।
आगे की कार्रवाई
सीबीआई ने तीनों आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों और नकदी की गहराई से जांच की जा रही है। यह मामला रेलवे में भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की एक बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
सीबीआई की यह कार्रवाई रेलवे में पारदर्शिता और ईमानदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है।