राजधानी रायपुर के मंडी गेट के पास स्थित एक खाली प्लाट पर कब्जे से जुड़ा एक मामले में न्यायालय ने महमूद अली के पक्ष में आर्डर किया जारी
राजधानी रायपुर के मंडी गेट के पास स्थित एक खाली प्लाट पर कब्जे से जुड़ा एक मामला सामने आया है। इस मामले में मोहम्मद अली और गुरदीप सिंह नामक दो व्यक्तियों ने अपना आधिपत्य एक ही जमीन पर जताया है। जब दोनों पक्ष निर्माण कार्यों के लिए जमीन पर पहुंचे, तो उनके बीच में आपसी विवाद उत्पन्न हो गया और यह बहस हाथापाई तक पहुंच गई। इस मामले में गुरदीप सिंह चावला और दलजीत सिंह चावला द्वारा दबावपूर्वक मजदूरों को डरा धमकाकर निर्माण कार्य को रुकवाया जाता रहा है। इसके बाद मामला न्यायालय में ले जाया गया, जहां न्यायालय ने जमीन पर निर्माण कार्य के लिए महमूद अली के पक्ष में आर्डर जारी किया।
इस आदेश के उपरांत उनका यह कृत्य (मजदूरों को डरा धमका कर कार्य को रुकवाना) जारी रहा गुरदीप सिंह चावला ने अपने मजदूरों द्वारा जबरन शेड निर्माण करवाने का भरसक प्रयास किया परंतु न्यायालयीन प्रक्रिया के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने परिशांति भंग होने के अंदेशे से कार्य को यथास्थिति रखने मदद भी की एवं पुलिस प्रशासन की उपस्थिति से किसी भी प्रकार की संभावित बड़ी घटना के होने की संभावना को बल नहीं मिल पाया।
मामले में इस जमीन का आधिपत्य अली और सिंह दोनों के बीच लड़ाई का विषय है। दोनों पक्षों के बीच जमीन के आधिकार को लेकर विवाद हो गया और यह विवाद उच्च न्यायालय में भी पहुंच गया है। न्यायिक प्रक्रिया के बाद, न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुना और अंततः जमीन के निर्माण कार्य के लिए महमूद अली के पक्ष में आर्डर जारी किया। उच्च न्यायालय के इस आदेश के उपरांत भी गुरदीप सिंह चावला एवं दलजीत सिंह चावला द्वारा यह कहकर कि हम किसी भी न्यायालय को नहीं मानते वाद विवाद की स्थिति निर्मित किये हुए हैं जबकि इनके पास ना ही उस व्यक्ति द्वारा दिया हुआ कोई लिखित वैध मुख्तारनामा नामा है और ना ही कोई वैध दस्तावेज हैं। जिसकी मांग अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा पूरे प्रकरण में इस पक्ष से लगातार की गई है।