अब एम.टैक – बी.टैक जैसी ऊंची कक्षाओं के छात्र भी करने लगे आत्महत्या

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भुइयां के गोठ पिछले कुछ समय के दौरान छात्र-छात्राओं में आत्महत्या के रुझान में भारी वृद्धि देखने में आ रही है तथा छोटी कक्षाओं से लेकर ऊंची कक्षाओं के छात्र-छात्राएं भी विभिन्न कारणों से अपने जीवन का अंत कर रहे हैं। आत्महत्या की नवीनतम कड़ी में 16 फरवरी को दिल्ली आई.आई.टी. कैम्पस स्थित द्रोणागिरि होस्टल में महाराष्ट्र के रहने वाले एम.टैक फाइनल ईयर के छात्र संजय नेरकर का शव फंदे से लटकता मिला.

संजय नेरकर के परिवार वालों ने अपने फोन कालों का जवाब नहीं मिलने पर होस्टल में संजय के दोस्तों से संपर्क करके पता करने को कहा जिसके बाद खोज करने पर उसका शव होस्टल के कमरा नंबर 757 में फंदे से लटका मिला। इससे पूर्व इसी वर्ष 21 जनवरी को मेरठ के कंकरखेड़ा में रहने वाले तथा आई.आई.टी. कानपुर में एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टैक कर रहे विकास मीणा ने होस्टल के कमरे में मफलर के सहारे पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी.

बताया जाता है कि विकास मीणा को टर्मिनेट कर दिया गया था जिस पर उसके पिता नेम चंद मीणा ने कहा था कि उसे टर्मिनेट किए जाने की सूचना उन लोगों को क्यों नहीं दी गई। उसे काऊंसलिंग की जरूरत थी। नेमचंद मीणा ने यह आरोप भी लगाया था कि विकास मीणा का सुसाइड नोट चुरा लिया गया है। गत वर्ष जुलाई में बी.टैक का एक छात्र आयुष अशना अपने होस्टल के कमरे में लटकता पाया गया था.

सितम्बर 2023 में मैथेमैटिक्स में बी.टैक कर रहे आई.आई.टी. दिल्ली के छात्र अनिल कुमार ने तथा नवम्बर में आई.आई.टी. दिल्ली में बी.टैक फाइनल ईयर के एक छात्र ने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। अभी तक तो आई.टी.आई. आदि के छात्र-छात्राएं ही आत्महत्या कर रहे थे परंतु अब एम.टैक और बी.टैक जैसी ऊंची कक्षाओं के छात्र अपना व्यवसायी करियर शुरू होने से ठीक पहले अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं और सर्वाधिक दुखद बात यह है कि समय-समय पर इस तरह की खबरें मीडिया में आने के बावजूद इस समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस निवारक कदम नहीं उठाए जा रहे.

अभी कुछ समय पूर्व राजस्थान सरकार ने कोटा के कोङ्क्षचग सैंटरों में छात्रों की समस्याएं जानने के लिए उनके साथ ‘डिनर संपर्क अभियान’ आरंभ किया है। ऐसे में सभी शिक्षा संस्थानों में छात्रों के मानसिक विकास और उनके साथ काऊंसङ्क्षलग पर लगातार ध्यान दिया जाना चाहिए।

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