भिखारी मुक्त शहर बनाने प्रशासन ने की बड़ी पहल, अभियान चला कर पुनर्वास के लिए की व्यवस्था

0

मध्यप्रदेश । इंदौर शहर को ‘भिखारी मुक्त शहर’ बनाने के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन ‘प्रवेश’ की अध्यक्षा रूपाली जैन ने दावा किया था कि यहां इंदिरा बाई नामक एक 40 वर्षीया महिला ने अपनी 8 वर्षीया बच्ची सहित 3 नाबालिग संतानों से भीख मंगवा कर मात्र 45 दिनों में अढ़ाई लाख रुपए कमाए.

रूपाली जैन के अनुसार, ‘‘इंदिरा ने इसमें से एक लाख रुपए अपने सास-ससुर को भेजे, 50,000 रुपए बैंक खाते में जमा करवाए और 50,000 रुपए फिक्स डिपाजिट में लगाए इंदिरा के नाम से उसके पति ने एक मोटरसाइकिल खरीदी है और भीख मांगने के बाद वे दोनों शहर में इसी पर घूमते हैं।’’ इसी घटना का संज्ञान लेते हुए इंदौर प्रशासन ने भीख मांगने के लिए मजबूर किए जाने वाले किसी भी बच्चे की पुख्ता सूचना देने वाले व्यक्ति को 1000 रुपए नकद ईनाम के अलावा प्रमाण पत्र देने और उसका अभिनंदन करने की योजना शुरू की है.

इंदौर के कलैक्टर आशीष सिंह के अनुसार शहर में भीख मांगने पर रोक लगाने और इसमें जबरदस्ती धकेले गए बच्चों को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है ताकि भीख मांगने वाले बच्चों को इस नरक से मुक्त करवाकर उनका पुनर्वास किया जा सके। कोई भी व्यक्ति जितने चाहे बाल भिखारियों की सूचना दे सकता है। सही पाए जाने पर हर बार संबंधित व्यक्ति को पुरस्कार की राशि और प्रमाण पत्र के अलावा उसका अभिनंदन किया जाएगा.

इसके साथ ही प्रशासन ने शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर निगरानी रखने के लिए यातायात विभाग के नियंत्रण कक्ष में एक अधिकारी तैनात करने का निर्णय भी लिया है। इसके लिए रूपाली जैन को ही इंदौर नगर निगम ने बाल भिखारियों को मुक्त करवाने और उनके पुनर्वास के लिए नियुक्त किया है। अब तक 17 बाल भिखारियों को इस बुराई से निकाला जा चुका है। यह योजना किसी सीमा तक बाल भिक्षावृत्ति उन्मूलन में सहायक सिद्ध हो सकती है। अत: इसे किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित न रख कर पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *