अलीगढ़ के चुनाव में भाजपा , समाजवादी पार्टी और बसपा में कांटे की टक्कर..उम्मीदवार अलग अलग मुद्दों से वोट इकठ्ठा कर जीत की तलाश क्र रहे हैं
उत्तरप्रदेश: अलीगढ़ के पिछले दो चुनावों में भाजपा ने विपक्ष के पसीने छुटाए हैं। इस बार हालात थोड़ा जुदा दिख रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार व दो बार रहे सांसद सतीश गौतम कड़ी टक्कर में फंस गए हैं। ऐसे में भाजपा एक बार फिर से जोरो शोरों से चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर जाट, मुस्लिम, एससी वोट के भरोसे जीत की तलाश कर रहे हैं। इसके अलावा बसपा के हितेन्द्र उपाध्याय भी भाजपा व सपा के समीकरण बिगाडऩे में लगा हुआ है।
चुनाव की सबसे खास बात यह है कि अलीगढ़ में हर बार धार्मिक ध्रुवीकरण जोरदार होता है, लेकिन इस बार मतदान से ठीक पहले तक इस तरह का माहौल नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यहां पर किसी भी दल ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में भाजपा सांसद के खिलाफ पनप रही नाराजगी और उनके वोटों में सेंधमारी की आशंका से चुनाव में कड़ी टक्कर दिख रही है। भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के परिवार से भी सांसद गौतम की पटरी नहीं बैठ रही है।
ढोलक बनाने के लिए मशहूर अमरोहा मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है। यहां से सांसद कुंवर दानिश अली कांग्रेस के टिकट पर इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं। भाजपा ने पूर्व सांसद कुंवर सिंह को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने मुजाहिद हुसैन को चुनाव में उतारा है। मुजाहिद के चुनाव में उतरने से मुस्लिम वोटों में बिखराव की आशंका से दानिश कड़ी टक्कर में फंसे हुए हैं। मुस्लिम वोटों की अहमियत जानते हुए यहां की सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी क्रिकेटर मोहम्मद शमी का जिक्र किया है।
विकास की दौड़ में पिछड़े अमरोहा के नायब अब्बासी डिग्री कॉलेज में पढऩे वाले फिरोज हसन ने कहा कि सरकार ने युवाओं को धोखा दिया है। साथ ही वे भाजपा सांसद रमेश विधुड़ी के संसद में दानिश पर की गई टिप्पणी को भी चुनावी मुद्दा बताते हैं। विवेकानंद नगर में रहने वाले राकेश शर्मा ने कहा कि यहां हार-जीत मुस्लिम वोट तय करते हैं। यदि उनमें बिखराव हो गया तो भाजपा को फायदा हो सकता है। मोती नगर निवासी अब्दुल्लाह का कहना है कि दानिश ने संसद में इलाके की आवाज उठाई है।